Though this song was written fifty years back but seems to be a prophesy then for today...
हालाँकि यह गीत पचास साल पहले लिखा गया था लेकिन लगता है कि आज के लिए एक भविष्यवाणी है...
Ramchandra keh gaye siya se...
Lyrics by : Rajendra Krishan Sung by: Mahendra Kapoor Music by: Kalyanji Anandji Picturised on: Dilip Kumar Film: Gopi (1970) Hey ji re...(3) ram chandra kah gaye siya se (2) aisa kalyug ayega hans chugega dana dun ka (2) kaua moti khayega Hey ji re... siya puche bhagvan kalyug main dharm-karm ko koi nahi manega to prabhu bole dharm bhi hoga karm bhi hoga (2) parantu sharm nahi hogi baat baat mai mata-pita ko (2) beta aankh dikhayega... hey ramchandra kah gaye siya se.. raja aur praja dono mei n hogi nisidin khechatani khechatani... kadam kadam par karenge dono apani apani manmani manmani... hey... jiske hhat mai hogi lathi (2) bhais vahi le jayega... hans chugega dana dun ka (2) kaua moti khayega... hey ramchandra kah gaye siya se.. suno siya kalyug main kala dhan aur kale man honge kale man honge.. chor uchhakke nagar seth aur prabhu bhakt nirdhan honge.. nirdhan honge... jo bhi hoga lobhi bhogi (2) woh jogi jogi kahlayega.. hans chugega dana dun ka (2) kaua moti khayega.. hey ramchandra kah gaye siya se.. mandir suna suna hoga bhari rahegi madhushala madhushala... pita ke sang sang bhari sabha mai nachegi ghar ki bala... ghar ki bala... hey... kaisa kanyadan pita hi kaisa kanyadan pita hi... kanya ka dhan kha ayega hans chugega dana dun ka (2) kaua moti khayega... hey ji re... hey ji re... hey murkh ki prit buri juye ki jeet buri bure sang baith chain bhage hi bhage hey... kajal ki kothri mai kaise hi jatan karo kajal ka dag bhai lage hi lage re bhai kajal ka dag bhai lage hi lage hey ji re... hey ji re... ey...kitna jati ko koi kitna sati ho koi kamni ke sang kam jage hi jage..(2) ey suno kahe gopiram jisaka hai nam kam uska to fand gale lage hi lage re bhai uska to fand gale lage hi lage hi lage... hey ji re... hey ji re... हालाँकि यह गीत पचास साल पहले लिखा गया था लेकिन लगता है कि आज के लिए एक भविष्यवाणी है... रामचंद्र के गे सिया से ।। गीतकार: राजेंद्र कृष्ण गायक: महेंद्र कपूर संगीत: कल्याणजी आनंदजी एक्टर: दिलीप कुमार फ़िल्म: गोपी (1970) हे जी रे.. (4) हे...रामचंद्र कह गए सिया से (2) ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना दुन का (2) कौआ मोती खाएगा हे जी रे...(2) हंस चुगेगा दाना दुन का कौआ मोती खाएगा हे जी रे... सिया पूछे भगवान कलयुग में धर्म - कर्म को कोई नहीं मानेगा तो प्रभु बोले धर्म भी होगा कर्म भी होगा (2) परुन्तु शर्म नहीं होगी बात बात में मात-पिता को (2) बेटा आँख दिखाएगा... हे रामचंद्र कह गए सिया से... राजा और प्रजा दोनों में होगी निसिदिन खेचातानी खेचातानी... कदम कदम पर करेंगे दोनों अपनी अपनी मनमानी मनमानी... जिसके हाथ में होगी लाठी (2) भैंस वही ले जाएगा... हंस चुगेगा दाना दुन का कौआ मोती खाएगा... (2) हे रामचंद्र कह गए सिया से.. सुनो सिया कलयुग में काला धन और काले मन होंगे मन होंगे.. चोर उच्चक्के नगर सेठ और प्रभु भक्त निर्धन होंगे.. निर्धन होंगे... जो भी होगा लोभी भोगी (2) वो जोगी कहलाएगा.. हंस चुगेगा दाना दुन का (2) कौआ मोती खाएगा.. हंस चुगेगा दाना तुन का कौआ मोती खाएगा... हे रामचंद्र कह गए सिया से.. मंदिर सूना सूना होगा भरी रहेगी मधुशाला मधुशाला... पिता के संग संग भरी सभा में नाचेगी घर की बाला... घर की बाला... हे... कैसा कन्यादान पिता ही... कैसा कन्यादान पिता ही... कन्या का धन खा जाएगा हंस चुगेगा दाना दुन का (2) कौआ मोती खाएगा... हे जी रे...(2) हे मूरख की प्रीत बुरी जुए की जीत बुरी बुरे संग बैठ चैन भागे ही भागे हे काजल की कोठरी में कैसे ही जतन करो काजल का दाग भाई लागे ही लागे रे भाई काजल का दाग भाई लागे ही लागे हे जी रे... कितना जती को कोई कितना सती हो कोई कामनी के संग काम जागे ही जागे.. ऐ सुनो कहे गोपीराम जिसका है नाम काम उसका तो फंद गले लागे ही लागे रे भाई उसका तो फंद गले लागे ही लागे.. हे जी रे... हे जी रे...
No comments:
Post a Comment